Thursday, March 21, 2019

पद्मश्री श्रीलाल जोशी सम्मान 2019

पद्मश्री श्रीलाल जोशी सम्मान 2019
स्व. श्री श्रीलाल जोशी, कला क्षेत्र में एक  ऐसा अभूतपूर्व नाम जिसके पास माँ सरस्वती की अकूत निधि का आशीर्वाद रहा। पद्मश्री से अलंकृत इस कला के लाल का जीवन न केवल कला क्षेत्र में अपितु नैसर्गिक लोक में भी प्रखर प्रेरक रहा है।
कला की इसी कथा में एक और गुदड़ी के लाल सौरभ भट्ट को 5 मार्च 2019 को बाऊसाहब की स्मृति में आयोजित कला प्रदर्शनी "श्री दर्शन" में कला क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें पद्मश्री श्रीलाल जोशी सम्मान से सुशोभित किया गया
Vaibhav Sankhla
Creative Rewriter, INDIA
TOK (Theory Of Knowledge) Expert of IB (International Baccalaureate).














सौरभ भट्ट कंबोडिया-वियतनाम-मलेशिया-सिंगापुर-इंडोनेशिया में करेंगे अपनी कला के प्रदर्शन द्वारा भारत का नाम रोशन।



19 मार्च 2019

सौरभ भट्ट कंबोडिया-वियतनाम-मलेशिया-सिंगापुर-इंडोनेशिया में
करेंगे अपनी कला के प्रदर्शन द्वारा भारत का नाम रोशन।

28 मई से 8 जून 2019 तक कंबोडिया में डलत आर्ट गैलरी में होगा सौरभ भट्ट की कला का प्रदर्शन

वस्त्र नगरी-
आलोक आर्ट गैलरी के निदेशक गौवर्धनलाल भट्ट ने बताया कि, आधुनिक शैली के अंतर्राष्ट्रीय कलाकार व् कला-विश्लेषक सौरभ भट्ट 28 मई से 8 जून 2019 तक कंबोडिया में डलत आर्ट गैलरी में करेंगे अपनी कला के प्रदर्शन द्वारा भारत का नाम रोशन।
हाल ही सौरभ भट्ट को 5 मार्च 2019 को शिल्पगुरु-पद्मश्री श्रीलाल जोशी (बाऊसाहब) की स्मृति में आयोजित कला प्रदर्शनी "श्री दर्शन" में कला क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें पद्मश्री श्रीलाल जोशी सम्मान से भी सुशोभित किया गया।
धुन का धनि और संकल्पों का कुबेर जब आगे बढ़ता है, तो किस्मत खुद-ब-खुद उसके सपनों में रंग भारती है। जैसे फूल की सौरभ को छुपाया नहीं जा सकता, उसी प्रकार खुद सौरभ भट्ट की चित्रकारी के रंग भी प्रसिद्धि के कैनवास पर बिखरे बिना नहीं रहे। चुगलखोर कूंची ने सबको बता ही दिया कि सौरभ को चित्रकारी की दुनिया में आगे... और आगे जाना है।
39 वर्षीय सौरभ की कंटेम्पररी चित्रकारी ने कई राष्ट्रीय व् अंतर्राष्ट्रीय मुकाम हासिल किये हैं। उनकी कृतियां शुरू से ही प्रकृति व् जीवन से प्रभावित रहीं हैं।
उनकी कृति "ममत्व-एक प्रेम" ने समाज में एक प्रतीकात्मक सन्देश के रूप में जागरूकता फैलाई है कि माता-पिता की सेवा ही सर्वोच्च पुण्य की प्राप्ति है। वहीँ "अ फॉर्म ऑफ़ रिदम" जैसी कलाकृति ने जीवन में आपसी भाई-चारे, एवं प्रेम-भाव के सन्देश को बढ़ावा दिया है।
वर्ष 2006 में उनकी एकल प्रदर्शनी से प्रभावित होकर विश्व प्रसिद्ध कलाकार शिल्पगुरु स्वर्गीय पद्मश्री श्री कृपालसिंह शेखावत ने लिखा था, "सौरभ तू काम करता चला जा, तेरा ज़माना इंतज़ार कर रहा है।" 2007 में उनकी कलाकृति "रघुवंशम" को "कालिदास अवार्ड" के लिए प्रदर्शित किया गया। 9 अप्रेल 2014 में "प्रकृति एक जीवन" कलाकृति को राजा रविवर्मा आदरांजलि अवार्ड के लिए चयनित किया गया।
अपने पिता श्री गौवर्धनलाल भट्ट को आदर्श मानने वाले भट्ट अब तक 94 से ज्यादा प्रर्दशनी का आयोजन कर चुके हैं इनमें देश के कई नगर-महानगर सहित जहांगीर कलादीर्घा, दिल्ली ललित कला अकादमी सहित भोपाल, नेपाल, भूटान, मालदीव्स, श्रीलंका, नूज़ीलैण्ड, फ्रांस के मोज़ाम्बिक शहर से लेकर स्कॉटलैंड, ब्राज़ील, ब्रिटैन, डेनमार्क, थाईलैंड व् बैंकाक शामिल हैं।
साथ ही भट्ट ने अपनी कला को अंतर्राष्ट्रीय कलाकार माइकल थॉमस फ्रॉम कोर्स-फ्रांस, और जेनिस-थाईलैंड के साथ मिलकर अपनी कला को नए मुकाम तक पहुँचाया है। उन्होनें बताया कि "भट्ट की कलाकृतियाँ आर्ट वर्ड में नई सोच और नई दिशा की और प्रेरित करती रहीं हैं।"
सौरभ भट्ट अपनी सम्पूर्ण कला शिक्षा का श्रेय अपने गुरु कलाविद श्री रमेश गर्ग, कलाविद स्वर्गीय श्री रणजीत सिंह चुड़ावाला, स्वर्गीय सुरेंद्र पाल जोशी, शिल्पगुरु-पद्मश्री स्वर्गीय श्री कृपालसिंह शेखावत, शिल्पगुरु-पद्मश्री श्रीलाल जोशी, अंतर्राष्ट्रीय  ख्याति प्राप्त कला गुरु श्री अमित गंजू एवं नवीना गंजू सहित अपने पिता श्री जी. एल. भट्ट व् बहन डॉक्टर कुसुम को देते हैं, जिन्होंने प्रत्येक कदम पर भट्ट को कला के बारीक गुर की शिक्षा प्रदान करने में सहयोग किया।

सौरभ भट्ट की सफलता का मूल मन्त्र- ढृढ़ संकल्प और सतत प्रयास !