Thursday, December 14, 2017

कली

आज, एक और कलि खिली मेरे आंगन, मन जूम उठा, खिल खिला उठा, सोचा... सोचा चलो यूँ ही अपनों से मुलाकात की जाए, कुछ बात ही की जाए। सौरभ की कलम से...

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