तो स्वयं ईश्वर प्रसन्न होकर,
हमें प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप में,
अपनी उपस्तिथि का प्रमाण भी देते हैं।
चाहे वह मूर्ति में हो या साक्षात्,
हमारी सच्ची मेहनत व् लगन का फल,
वह ज़रूर देते हैं।
और प्रत्येक भक्त की सच्ची भग्ति की शक्ति का परिणाम,
उसे अवश्य ही प्राप्त होता है।
सौरभ की कलम से...
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