Sunday, March 22, 2020

मैं, मैं से...


Monday, January 27, 2020

मैं, मैं से...

लिखता हूँ
जो देखता हूँ।
देखता हूँ तो
समझता हूँ।
समझ के
पूनः देखता हूँ और फिर,
देख कर चलता हूँ...
उन्ही तमाम आड़ी-टेढ़ी रेखाओं पर
जो कभी...

कभी यूँ ही बात की जाए, खयालों की,
तो बस यूं ही...
खयाल कभी गली के नुक्कड़ पे तो,
कभी चाय की चुस्की लेते...
तो इत्तफ़ाक़ कभी यूँ होता कि...

न जाने
अनजाने ही सही,
मिला तो...

मैं, मैं से,
या स्वयं से...


सौरभ की कलम से...
28th January, 2020
Tuesday
05:43 AM

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