Saturday, May 15, 2021

Picasso Painting Sells For $103 Million In New York: Auction House

Picasso Painting Sells For $103 Million In New York: Auction House

15th May 2021

 न्यूयॉर्क, संयुक्त राज्य अमेरिका:

पाब्लो पिकासो की "वूमन सिटिंग नियर ए विंडो (मैरी-थेरेसी)" गुरुवार को न्यूयॉर्क में क्रिस्टीज में $ 103.4 मिलियन में नीलाम।



दुनिया के सबसे बड़े ऑक्शन हाउस क्रिस्टी में, पिकासो द्वारा 1932 में बनाई इस पेंटिंग की 90 मिलियन डॉलर से बोली शुरू हुई और मात्र 19 मिनट में ही नीलाम हो गई, जो फीस और कमीशन जोड़े जाने पर बढ़कर 103.4 मिलियन डॉलर हो गई।  नीलामी से पूर्व क्रिस्टी का यह सोचना था कि या पेंटिंग 55 मिलियन डॉलर में बिकेगी। परन्तु सदी के महान पेंटर पिकासो की इस पेंटिंग की बिक्री से मनो इस कोविड -19 महामारी के बावजूद कला बाजार की जीवन शक्ति की पुष्टि कर दी है। साथ ही पिकासो की अहमियत्ता को भी बढ़ाया है। क्रिस्टीज, अमेरिका के अध्यक्ष -बोनी ब्रेनन ने कहा, "गुरुवार की  इस नीलामी में कुल $ 481 मिलियन नीलामी का आम तौर पर अच्छा प्रदर्शन, और सामान्य रूप से कला जगत और कला बाजार में यह वास्तविक वापसी का संकेत है और यह भी एक संदेश है कि कला बाजार वास्तव में पटरी पर है।" पिकासो की एक पेंटिंग young mistress and muse, Marie-Therese Walter, पेंटिंग को केवल आठ साल पहले लंदन की बिक्री में 28.6 मिलियन पाउंड (लगभग $ 44.8 मिलियन) में खरीदा गया था, जो गुरुवार को दी गई कीमत से आधे से भी कम थी। स्पेनिश चित्रकार द्वारा बनाई पांच कृतियों ने अब 100 मिलियन डॉलर की प्रतीकात्मक सीमा को पार कर लिया है। इस नीलामी से पहले भी पिकासो शीर्ष पर पहले से ही ("Women of Algiers", which holds the record for a Picasso, at $179.4 million in 2015)  नंबर एक पर हैं। 

आलोक आर्ट गैलरी के निदेशक एस. भट्ट ने जानकारी में बताया कि,  दो वर्षों में यह पहली बार है कि 1890 के क्लाउड मोनेट "म्यूल्स" पेंटिंग के बाद से किसी काम ने 100 मिलियन डॉलर का आंकड़ा तोड़ा है, सोथबी में भी न्यूयॉर्क में $ 110.7 मिलियन तक पहुंच गया है। मंगलवार को भी, अमेरिकी चित्रकार Jean-Michel Basquiat (जीन-मिशेल बास्कियाट) की पेंटिंग "इन दिस केस" क्रिस्टीज में $93.1 मिलियन में बिकी, जो कि पहली बड़ी स्प्रिंग बिक्री थी, जो नीलामी की दुनिया की दो सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है।


Sourabh Bhatt

Alok Art Gallery

Thursday, May 13, 2021

A tribute to great artist Georges Braque by Sourabh Bhatt

   

A tribute to great artist Georges Braque by Sourabh Bhatt


अनलॉक क्रिएटिविटी

"परसेप्शन" - जॉर्ज ब्राक को कलाजगत का नमन।



नवीन प्रयासों में निरन्तर लीन रहने वाले अक्सर नवीन पथ की तलाश कर ही लेते हैं। ऐसे ही आधुनिक विचारों को अपने प्रयोगों से सार्थक किया 20 वीं सदी के फ्रेंच कलाकार जॉर्ज ब्राक ने। सरल व्यक्तित्व, दूर दृष्टि और अथक प्रयास, काफी है किसी के अस्तित्व को तैयार करने के लिए। करीब एक शताब्दी पूर्व, 13 मई, 1882 को जॉर्ज ब्राक का जन्म हुआ जिसने कलाजगत में नित नए प्रयोगों से अपनी कला को समाज में स्थापित किया। कला के इतिहास में ब्राक का सबसे महत्वपूर्ण योगदान 1905 से फौविज़्म के साथ उनके गठबंधन से हुआ। और उन्होंने अपनी कला से क्यूबिज़्म के विकास में एक अलग भूमिका निभाई। जो की उस समय के चित्रकार पाब्लो पिकासो की निकटता से 1908 और 1912 के बीच उनके साथ जुड़ा रहा। 1916 के अंत में ब्राक ने इस नवीन शैली को सुढ़ृड़ किया और क्यूबिज़्म के कठोर अमूर्तन को मॉडरेट करना प्रारम्भ किया। उन्होंने एक और अधिक व्यक्तिगत शैली विकसित की, जो शानदार रंग, बनावट वाली सतहों की विशेषता थी। उन्होंने इस समय के दौरान जीवन के कई विषयों को चित्रित किया, और रंग, रेखा, और फॉर्म्स की संरचना पर अपना जोर बनाए रखा। और ब्राक ने क्यूबिज़्म की एक स्वतंत्र शैली का प्रदर्शन किया, और निरूपण की अपनी शैली को लगातार सुदृढ़ किया, और अपने कार्यों में अतियथार्थवादी विचारों को शामिल किया।

ठीक इसी प्रकार कंटेम्परेरी आर्टिस्ट सौरभ भट्ट ने ब्राक शैली से प्रभावित हो अपनी कृतियों में "दूर दृष्टि" और "एक विज़न" जैसे सशक्त विषयों को चित्रित किया। भट्ट ने अपनी कृतियों में लाइन, रंग, और फॉर्म्स के साथ तीन आयामी संरचना को ब्राक शैली से बहुत ही अलग अंदाज़ में चित्रित किया। साथ ही भट्ट की शैली में प्रतीकात्मक संरचना (सिम्बोलिकल फॉर्म्स) को बहुत ही कलात्मक रूप से प्रस्तुत किया। भट्ट की एक कलाकृति "परसेप्शन" जिसमें  मानवाकृति को तीन आयामी ज्यामितीय और प्रतीकात्मक रूप से चिन्हित किया गया है, जो की भट्ट की इस शैली को ब्राक शैली से पृथक करता है। साथ ही इस शैली में भट्ट की सम्पूर्ण कला शिक्षा और सशक्त कल्पना शक्ति उन्हें आज के कलाकारों से भिन्न कराती है।

भट्ट ने अपनी अनूठी परन्तु नायाब कलाकृतियों के निर्माण से जॉर्ज ब्राक की 139 वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की है। भट्ट की यह कलाशैली राजस्थान ललित कला अकादेमी द्वारा देश की प्रसिद्द जहाँगीर आर्ट गैलरी में भी प्रदर्शित की जा चुकी है।

" सफलता का मंत्र, निरंतर प्रयास..." -सौरभ की कलम से...

"परसेप्शन" - जॉर्ज ब्राक को कलाजगत का नमन 13.05.2021

 Date: 13.05.2021

अनलॉक क्रिएटिविटी

"परसेप्शन" - जॉर्ज ब्राक को कलाजगत का नमन।

नवीन प्रयासों में निरन्तर लीन रहने वाले अक्सर नवीन पथ की तलाश कर ही लेते हैं। ऐसे ही आधुनिक विचारों को अपने प्रयोगों से सार्थक किया 20 वीं सदी के फ्रेंच कलाकार जॉर्ज ब्राक ने। सरल व्यक्तित्व, दूर दृष्टि और अथक प्रयास, काफी है किसी के अस्तित्व को तैयार करने के लिए। करीब एक शताब्दी पूर्व, 13 मई, 1882 को जॉर्ज ब्राक का जन्म हुआ जिसने कलाजगत में नित नए प्रयोगों से अपनी कला को समाज में स्थापित किया। कला के इतिहास में ब्राक का सबसे महत्वपूर्ण योगदान 1905 से फौविज़्म के साथ उनके गठबंधन से हुआ। और उन्होंने अपनी कला से क्यूबिज़्म के विकास में एक अलग भूमिका निभाई। जो की उस समय के चित्रकार पाब्लो पिकासो की निकटता से 1908 और 1912 के बीच उनके साथ जुड़ा रहा। 1916 के अंत में ब्राक ने इस नवीन शैली को सुढ़ृड़ किया और क्यूबिज़्म के कठोर अमूर्तन को मॉडरेट करना प्रारम्भ किया। उन्होंने एक और अधिक व्यक्तिगत शैली विकसित की, जो शानदार रंग, बनावट वाली सतहों की विशेषता थी। उन्होंने इस समय के दौरान जीवन के कई विषयों को चित्रित किया, और रंग, रेखा, और फॉर्म्स की संरचना पर अपना जोर बनाए रखा। और ब्राक ने क्यूबिज़्म की एक स्वतंत्र शैली का प्रदर्शन किया, और निरूपण की अपनी शैली को लगातार सुदृढ़ किया, और अपने कार्यों में अतियथार्थवादी विचारों को शामिल किया।

ठीक इसी प्रकार कंटेम्परेरी आर्टिस्ट सौरभ भट्ट ने ब्राक शैली से प्रभावित हो अपनी कृतियों में "दूर दृष्टि" और "एक विज़न" जैसे सशक्त विषयों को चित्रित किया। भट्ट ने अपनी कृतियों में लाइन, रंग, और फॉर्म्स के साथ तीन आयामी संरचना को ब्राक शैली से बहुत ही अलग अंदाज़ में चित्रित किया। साथ ही भट्ट की शैली में प्रतीकात्मक संरचना (सिम्बोलिकल फॉर्म्स) को बहुत ही कलात्मक रूप से प्रस्तुत किया। भट्ट की एक कलाकृति "परसेप्शन" जिसमें  मानवाकृति को तीन आयामी ज्यामितीय और प्रतीकात्मक रूप से चिन्हित किया गया है, जो की भट्ट की इस शैली को ब्राक शैली से पृथक करता है। साथ ही इस शैली में भट्ट की सम्पूर्ण कला शिक्षा और सशक्त कल्पना शक्ति उन्हें आज के कलाकारों से भिन्न कराती है।

भट्ट ने अपनी अनूठी परन्तु नायाब कलाकृतियों के निर्माण से जॉर्ज ब्राक की 139 वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की है। भट्ट की यह कलाशैली राजस्थान ललित कला अकादेमी द्वारा देश की प्रसिद्द जहाँगीर आर्ट गैलरी में भी प्रदर्शित की जा चुकी है।

" सफलता का मंत्र, निरंतर प्रयास..." -सौरभ की कलम से...

Warm Regards


 

 

Painting: Perception


SOURABH BHATT with GEORGES BRAQUE


Sourabh Bhatt

Artist / Writer / Director

Alok Art Gallery and


Alok Lalit Kala Sansthan

Tuesday, May 11, 2021

UNLOCK your creativity* -“कल्पना शक्ति को कला जगत का नमन”

  UNLOCK your creativity* -“कल्पना शक्ति को कला जगत का नमन”

A tribute to the legendary artist *Salvador Dali* on his *117th birth anniversary*

इमेजिनेशन अनलॉक

“कल्पना शक्ति को कला जगत का नमन”

कलाजगत में सल्वाडोर डाली सिर्फ एक नाम नहीं, अपितु कल्पना की शक्ति को अनलॉक करने की पूरी लाइब्रेरी है डाली। अवचेतन मन से चेतन को जागृत करने का एक मात्र रास्ता है डाली। किसी को क्या पता था कि 11 मई 1904 को एक ऐसे दौर का जन्म होगा जो सम्पूर्ण विश्व की कल्पना शक्ति को हिला कर रख देगा। करीब एक शताब्दी वर्ष पूर्व डाली ने अपनी कल्पना की शक्ति का विस्तार कर उसे अतियथार्थवाद अर्थात सेरेलिस्म में ढालना प्रारम्भ किया। यह दौर किसी भी दौर के आर्टिस्ट के लिए उसकी इमेजिनेशन पॉवर बढ़ाने का दौर था। और इस स्ट्रॉन्ग इमेजिनेशन पॉवर से कोई अछूता नहीं रहा। इस पॉवरफुल शैली में कार्य करने वाले भीलवाड़ा के कंटेम्परेरी आर्टिस्ट सौरभ भट्ट द्वारा करीब दो दशक पूर्व बनाई पेंटिंग्स की एक सीरीज़, जिसमें जीवन के सत्य को उजागर किया गया। भट्ट अपने गुरु कलाविद रमेश गर्ग और अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कलागुरु अमित गंजू और नवीना गंजू के मार्गदर्शन में अपनी कला की बारीकियों को स्ट्रांग करने में सक्षम हुए हैं और साथ ही अपनी अनूठी कला को भी सशक्त इमेजिनेशन द्वारा एकरूप प्रदान कर पाएं है। डाली की कल्पना से प्रभावित हो भट्ट ने आज के बदलते परिवेश को अपनी कलाकृतियों में प्रतीकात्मक रूप से चित्रित किया है, जो समाज में फैली इस महामारी से रूबरू करवाती है। जिससे जीवन के मूल्यों का ज्ञान प्राप्त होता है। सौरभ भट्ट की बनाई "जीवन के सत्य" सब्जेक्ट पर आधारित पेंटिंग्स की सीरीज़ द्वारा सेरेलिस्ट आर्टिस्ट सल्वाडोर डाली को एक कलात्मक श्रद्धांजलि अर्पित की गयी।

जैसा की एक कलाकार वही चित्रण करता है जो वह अपने इर्द-गीर्द अनुभव करता है, इसके लिए उसकी अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता ही एकमात्र उसकी कला यात्रा होती है। डाली ने भी उनके जीवन काल में स्ट्रॉन्ग इमेजिनेशन को सेरेलिस्टिक रूप दिया। 


उनकी चर्चित पेंटिंग "मेल्टिंग वॉच" और "जलता हुआ जिराफ" जैसी पेंटिंग्स ने मानो कलाकारों और कलाजगत के लिए एक अनूठा परन्तु रहस्य्मयी संभावनाओं का एक क्षेत्र खोला। जिसने न केवल दुनिया भर के दृश्य मंच पर अतियथार्थवाद और मनोविश्लेषण की अवधारणाओं को विकसित किया बल्कि व्यक्तिगत, रहस्यमय और भावनात्मक संभावनाओं को अपनी अनूठी शैली में चित्रित किया।



ठीक इसी प्रकार कंटेम्परेरी आर्टिस्ट सौरभ भट्ट ने भी अपनी कृतियों में "ट्रुथ ऑफ़ लाइफ (Truth of Life)" जैसे विषय को अपनी स्ट्रांग इमेजिनेशन से चित्रित किया। इसमें भट्ट ने अपनी अनूठी और नायाब कला-शैली के माध्यम से अवचेतन को व्यक्त करने के लिए ऑटोमैटिज़्म की सर्रेलिस्ट तकनीकों का उपयोग किया है। भट्ट ने अपनी कलाशैली के माध्यम से इस थॉट को भी क्रिएट किया कि, कला, कलाकार और कलात्मक क्षमता कई माध्यमों को पार कर सकती है परन्तु उसके लिए एक स्ट्रांग इमेजिनेशन की आवश्यकता होती है। इसी के माध्यम से भट्ट अपनी शैली में नित नए प्रयोग करते आये हैं। भट्ट की कलाकृतियों में पाब्लो पिकासो, जॉर्ज ब्रॉक, साल्वाडोर डाली, इम्प्रेसनिज़्म, एक्सप्रेसनिज़्म, सिम्बोलिस्म जैसे कई विश्व प्रख्यात कलाकारों की छवि देखी जा सकती है परन्तु भट्ट की कलाकृतियाँ इन सभी से पृथक हैं और आज के परिवेश से सम्बन्ध रखती है, जो उन्हें और उनकी कला को सभी से भिन्न कराती हैं। और यही भट्ट की पहचान भी है। भट्ट ने सल्वाडोर डाली की 117 वीं जयंती पर उनकी बनायी "जीवन के सत्य" सब्जेक्ट पर आधारित पेंटिंग्स की सीरीज़ द्वारा एक कलात्मक श्रद्धांजलि अर्पित की है।  दर्शको, पाठकों, और कलाप्रेमियों को डाली का एक सन्देश भी देना चाहते हैं कि प्रत्येक कलाकार प्रकृति का अनुकरण करता है चाहे वह किसी भी प्रकार की कला हो जैसे रंग-मंच, नृत्य, गायन, और फिर चाहे वो दृश्यकला हो। इन सभी ललित कलाओं में प्रकृति और समाज का ही अनुकरण किया जाता है। जो कि एक कलाकार के लिए सबसे महत्वपूर्ण पाठ होता है। वह इस अनुकरण अर्थात इमीटेशन, या यूँ कहा जाये की प्रकृति की नक़ल ही कला है। अर्थात जो लोग किसी चीज की नकल करना जानते हैं, वे कुछ भी पैदा कर सकते हैं। परन्तु इसके लिए कलाकार को उसके अवचेतन मन से चेतना को जाग्रत करना होगा, तभी एक सफल कलाकार के मायने पूर्ण होंगे।

" सफलता का रास्ता, निरंतर प्रयास... " -सौरभ की कलम से...

Title of the Painting: *Truth of Life*

Artist: *Sourabh Bhatt*

Medium: *Oil on Canvas*

Size: *36 "X 72"*




Sunday, May 9, 2021

माँ एक एहसास... Mother's Day 9th May 2021

 माँ एक एहसास...

Mother's Day 9th May 2021

http://bhilwarasamwad.com/14795


माँ, जिसने बचपन में बहुत कुछ सिखलाया, सही गलत की सीख़ दी |

परन्तु जब होश सम्भाला, बहुत देर हो चुकी थी।

अब वो मेरे पास नहीं थी। था तो उसका एक मीठा और रूहानी एहसास...


आज सब मना रहे मदर्स डे... पर मैं क्या करूँ... यही असमंजस सालों से मेरे अंदर है।

मुझे तब समज नहीं आया कि वह क्या था...

यह खालीपन... अकेलापन... मैं समझ ही नहीं पा रही थी कि मेरे साथ यह हो क्या रहा है...

परन्तु कुछ समय बाद...


मुझे माँ बनने का सौभाग्य मिला। मानों मेरी ख़ुशी की कोई सीमा न थी...

उसके मुलायम हाथों ने मेरी उँगलियों को अपनी मुट्ठी में पकड़ रखा था |

मुझे तब वह एहसास हुआ... जिसकी मेरे जीवन में एक कमी सी थी।


जब उसे पहली बार अपने सीने से लगाया... तो यूँ लगा...

लगा जैसे जीवन बस यहीं ठहर जाए।

यह वह एहसास था जिसने मुझे अपने आप से रूबरू कराया।

उसके मीठे स्वरों ने पहली बार माँ होने का एहसास कराया।

मेरे लिए उस पल को कैद करना मुश्किल था।

परन्तु, मेरी कूँची ने उस पल को फिर से जीवंत कर दिया...


आज जीवन के मायने ही बदल से गए हैं। जहाँ जीने के लिए रोटी, कपड़ा, और मकान महत्वपूर्ण हुआ करते थे, आज जरूरतों ने रुख बदल लिया और इनकी बजाये अब स्वांसों (ऑक्सीजन) ने ले ली है।  जिन्हें संभाल पाना मुश्किल सा नजर आता है। इस सब बदलते परिवेश में रिश्तों ने भी अपना असर दिखाना शुरू किया है जो की वर्षों से चली आ रही कोई नयी बात नहीं, परन्तु आज भी एक रिश्ता है जिसे बदलना असंभव है। वह है "माँ"। "माँ" एक अपनत्व का एहसास है, एक सहारे का एहसास, यह एक एहसास ही तो है जो हर मुसीबत से बहार निकाल लेता है। यह मात्र एक शब्द है परन्तु सम्पूर्ण श्रष्टि इसमें समायी है।

इस महामारी के बीच आज हम सब घरों में कैद हैं। परन्तु अंदर की बात तो यह कि क्या वाकई हम अपने आप को क़ैद मानते हैं ? शायद इसका जवाब हम सभी के पास है। इस पुरे लॉक-डाउन समय में फ्रंट-लाइन वॉरियर के साथ शायद किसी का ध्यान एक व्यक्ति पर नहीं गया, वह है "माँ"।

इसी अनुभूति को कंटेम्परेरी आर्टिस्ट सौरभ भट्ट ने अपनी पेन्टिंग में चित्रित किया है। इस पेंटिंग में भट्ट ने उस एहसास को चित्रित किया जिसे सिर्फ एक माँ और उसका शिशु ही महसूस कर सकता है। दिल की गहराइयों को छू जाने वाली यह नायाब कलाकृति राजा रवि वर्मा आदरांजलि नेशनल आर्ट एक्सिबिशन में भी कलाकारों और कला-प्रेमियों के आकर्षण का केंद्र रह चुकी है। 

इस कलाकृति में सौरभ भट्ट ने मातृत्व प्रेम को बखूबी ब्लैक एंड वाइट कलर्स और टेक्सचर्स से सजाया है। इस पेंटिंग से भट्ट यह भी सन्देश देना चाहते हैं कि समाज में प्रत्येक व्यक्ति को प्रत्येक स्त्री के प्रति आदर-सम्मान की भावना को जाग्रत करना होगा, तभी समाज सुढ़ृड़ एवं सशक्त बन पायेगा। इसी अनुभूति को सर्वोपरि मान भट्ट ने अपनी कल्पनाको कैनवास पर चित्रित किया है।


Title of the Painting: माँ
Artist: Sourabh Bhatt
Medium: Oil on Canvas
Size: 30" X 30"



Sourabh Bhatt

An Indian Artist, Writer, and Director of

ALOK ART GALLERY


Thursday, May 6, 2021

एक प्रयास... Article published 2021

एक प्रयास... Article published 2021

I am happy to share with you, this is the first time, being a writer and one of my favorite articles is *"एक प्रयास..."* along with visuals (which were captured by me) published in *"आत्मा की ज्वाला"* newspaper and another e-paper published this article in their digital paper *"PRESSNOTE.in"*, and encouraged me as an honor for my extraordinary talent.

इस चहों दिशाओं फैले दुःख भरे बादलों में से यह एक खुशी की फुँहार ही तो है जिसने मैंआप और हम सभी को सुअवसर प्रदान कियाताकि इस मूल्यवान समय को गवाए बिनाप्रत्येक जन अपनी प्रतिभा के अनुसार कई नए अवसरों को पैदा कर सकेऔर खुश रहने की वजह तलाश सके। 

शायद इस लेख से किसी एक के जीवन में फिर नई जीने की आस जाग उठे। इसीलिए जो मैं महसूस करता हूँवह मैं लिखता हूँहर दिनहर पलकरता हूँ फिर एक प्रयास...

अगर आपको मेरा यह "एक प्रयास..." पसंद आता है तो मुझे लिख भेजिए। आपको मेरे विचार कैसे लगते हैं मुझे जरूर बताइये।

आज के लिए बस इतना ही। कल फिर नए विचारनए थॉट के साथ...

फिर एक बार,

सौरभ की कलम से...





 https://www.pressnote.in/Literature_News_439710.html

Wednesday, May 5, 2021

एक छोटा सा प्रयास... सौरभ की कलम से...

 एक छोटा सा प्रयास... सौरभ की कलम से...


सारे दुःख दूर हो जाएंगे ... 

सब ठीक हो जाएगा...

खुशियाँ फिर से लौट आएंगीं... 

इन सब बातों से ही तो हम पगला से गए हैं। 

असल में यही सब कारण ही तो हैं दुखी होने के...


इन्हीं सभी भ्रमों को ही तो हमारे जीवन से हमें दूर निकाल फैंकना है। 


वास्तव में एक छोटे से प्रयास से जीवन में बड़ा परिवर्तन लाया जा सकता है। 

प्रयास ऐसा कि जिसे करने से आपका मन प्रसन्न हो, जैसे अगर मन करे तो घर की बगिया के पौधों से मन की बात-चीत की जाए, और कोशिश करें उनकी बात को भी सुना जाए। भले ही आप उन्हें सुन नहीं पा रहे हों, परन्तु आपको एक छोटे से प्रयास से अपने मन को ज़रा सा बहलाना है, कि आप उन्हें सुनने की कोशिश कर रहे हैं, और उन्हें सुन भी रहे हैं। यहीं से आप उनकी आवाज़ तक ही नहीं बल्कि उनके मन तक भी पहुँच पाएंगे। ऐसा करने से हो सकता है कि कुछ समय आपका व्यर्थ चला जाये, परन्तु आप महसूस करेंगे कि आपको एक अलग ही अनुभूति हो रही है, जिसे आप सभी को बताना भी चाहेंगे। यही तो आपको करना है। अपनीं खुशियाँ ही तो बटोरनी है और उसे बांटना है, अपनों के संग। और अगर बघिया ही नहीं है घर में तो, चलिए बघिया ही लगाई जाए। अब यह मुश्किल काम कैसे हो ? इसके लिए घर की ही कुछ चीजों का इस्तेमाल किया जा सकता है जैसे आप आलू, भिंडी, मिर्च, धनियाँ, टमाटर और सौंफ़ जैसे आसान से प्रयोग से अपनी बगिया को तैयार कर सकते हैं। ऐसा करने से आप न केवल अपनी बगिया तैयार करेंगे बल्कि अपनी खुशियों की बगिया भी तैयार कर रहे हैं।

याद रखिये मन प्रसन्न तो सारे दुःख दूर हो जायेंगे, सिर्फ एक छोटे से प्रयास से... 


अगर आपको यह "एक छोटा सा प्रयास..." जो कि "सौरभ की कलम से..." डायरी से लिया गया है, पसंद आया तो मुझे लिख भेजिए। आपको मेरे विचार कैसे लगते हैं जरूर बताइये। 


आज के लिए बस इतना ही। कल फिर नए विचार, नए थॉट के साथ... 


फिर एक बार,

सौरभ की कलम से...

5 मई, 2021. बुधवार










Monday, May 3, 2021

राजकीय संग्रहालय अजमेर में सौरभ भट्ट की कला संग्रहित।

 “राजकीय संग्रहालय अजमेर में सौरभ भट्ट की कला संग्रहित।“

अब सौरभ भट्ट की कला का स्थाई रूप से संकलन राजकीय संग्रहालय अजमेर, अजमेर विकास प्राधिकरण विभाग व् अजमेर क्लब में |
सौरभ भट्ट की कला को राजकीय संग्रहालय अजमेर सहित अजमेर विकास प्राधिकरण, व् अजमेर क्लब एवं थाईलैंड के 11 सथोर्न आर्ट गैलरी में स्थाई रूप से कला संग्रहालय में संग्रहित किया गया।
यह जानकारी अलोक आर्ट गैलरी के निदेशक श्री गौवर्धन लाल भट्ट ने दी। उन्होंने बताया की हाल ही अजमेर विकास प्राधिकरण में हुए एक कला कुम्भ में सौरभ भट्ट ने अपनी कला के लाइव परफॉर्मन्स से कला जगत के कई राजनैतिक, व्यावसायिक व् उद्योगपति हस्तियों सहित कलाकार एवं कला प्रेमियों का ध्यान आकर्षित किया। इस उत्सव में कई बड़े कलाकारों ने अपने हुनर को भी प्रदर्शित किया। जिनमें देश के कई नामी कलाकार, डॉ. अनुपम भटनागर, संजय सेठी, प्रहलाद शर्मा, अलका शर्मा, लक्षपाल सिंह राठौर, इंदु खंडेलवाल, विनय त्रिवेदी, किरण खत्री, देवेंद्र खारोल, आदि कलाकारों ने अपनी कला का लाइव प्रदर्शन किया।
सौरभ भट्ट 95 से अधिक कला प्रदर्शनियों को राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रदर्शित कर चुके हैं। अब सौरभ भट्ट की कला का स्थाई रूप से संकलन अजमेर विकास प्राधिकरण विभाग में किया जायेगा। साथ ही अजमेर के राजकीय संग्रहालय में व् अजमेर क्लब सहित देश विदेश की कई सरकारी व् निजी विभागों और संस्थानों में एवं थाईलैंड के 11 सथोर्न आर्ट गैलरी में स्थाई रूप से संग्रहित किया जा चुका हैं।
भट्ट ने अपने आधुनिक कला हुनर से अपनी जन्मभूमि भीलवाड़ा को कला जगत में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक पहचान दिलाई है। और युवा पीढ़ी व् कला प्रेमियों के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत बन कड़े हुए हैं। भट्ट अपने जीवन की प्रेरणा का स्त्रोत पिता श्री गौवर्धन लाल भट्ट को मानते हैं।
उनके उज्जवल व् निर्मल भविष्य के लिए कोटि कोटि साधुवाद!
सौरभ भट्ट की सफलता का मूल मन्त्र- ढृढ़ संकल्प और सतत प्रयास !
हर व्यक्ति के जीवन में कुछ असाधारण शक्ति होती है...
इसे पहचानना और आगे बढ़ना ही जीने की कला है। "-सौरभ भट्ट
21st July 2019
सौरभ भट्ट की सफलता का मूल मन्त्र- ढृढ़ संकल्प और सतत प्रयास !
सौरभ भट्ट कंबोडिया-वियतनाम-मलेशिया-सिंगापुर-इंडोनेशिया में करेंगे अपनी कला के प्रदर्शन द्वारा भारत का नाम रोशन।
28 मई से 8 जून 2019 तक कंबोडिया में डलत आर्ट गैलरी में होगा सौरभ भट्ट की कला का प्रदर्शन
वस्त्र नगरी- आलोक आर्ट गैलरी के निदेशक गौवर्धनलाल भट्ट ने बताया कि, आधुनिक शैली के अंतर्राष्ट्रीय कलाकार व् कला-विश्लेषक सौरभ भट्ट 28 मई से 8 जून 2019 तक कंबोडिया में डलत आर्ट गैलरी में करेंगे अपनी कला के प्रदर्शन द्वारा भारत का नाम रोशन।
हाल ही सौरभ भट्ट को 5 मार्च 2019 को शिल्पगुरु-पद्मश्री श्रीलाल जोशी (बाऊसाहब) की स्मृति में आयोजित कला प्रदर्शनी "श्री दर्शन" में कला क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें पद्मश्री श्रीलाल जोशी सम्मान से भी सुशोभित किया गया।
धुन का धनि और संकल्पों का कुबेर जब आगे बढ़ता है, तो किस्मत खुद-ब-खुद उसके सपनों में रंग भारती है। जैसे फूल की सौरभ को छुपाया नहीं जा सकता, उसी प्रकार खुद सौरभ भट्ट की चित्रकारी के रंग भी प्रसिद्धि के कैनवास पर बिखरे बिना नहीं रहे। चुगलखोर कूंची ने सबको बता ही दिया कि सौरभ को चित्रकारी की दुनिया में आगे... और आगे जाना है।
39 वर्षीय सौरभ की कंटेम्पररी चित्रकारी ने कई राष्ट्रीय व् अंतर्राष्ट्रीय मुकाम हासिल किये हैं। उनकी कृतियां शुरू से ही प्रकृति व् जीवन से प्रभावित रहीं हैं।
उनकी कृति "ममत्व-एक प्रेम" ने समाज में एक प्रतीकात्मक सन्देश के रूप में जागरूकता फैलाई है कि माता-पिता की सेवा ही सर्वोच्च पुण्य की प्राप्ति है। वहीँ "अ फॉर्म ऑफ़ रिदम" जैसी कलाकृति ने जीवन में आपसी भाई-चारे, एवं प्रेम-भाव के सन्देश को बढ़ावा दिया है।
वर्ष 2006 में उनकी एकल प्रदर्शनी से प्रभावित होकर विश्व प्रसिद्ध कलाकार शिल्पगुरु स्वर्गीय पद्मश्री श्री कृपालसिंह शेखावत ने लिखा था, "सौरभ तू काम करता चला जा, तेरा ज़माना इंतज़ार कर रहा है।" 2007 में उनकी कलाकृति "रघुवंशम" को "कालिदास अवार्ड" के लिए प्रदर्शित किया गया। 9 अप्रेल 2014 में "प्रकृति एक जीवन" कलाकृति को राजा रविवर्मा आदरांजलि अवार्ड के लिए चयनित किया गया।
अपने पिता श्री गौवर्धनलाल भट्ट को आदर्श मानने वाले भट्ट अब तक 94 से ज्यादा प्रर्दशनी का आयोजन कर चुके हैं इनमें देश के कई नगर-महानगर सहित जहांगीर कलादीर्घा, दिल्ली ललित कला अकादमी सहित भोपाल, नेपाल, भूटान, मालदीव्स, श्रीलंका, नूज़ीलैण्ड, फ्रांस के मोज़ाम्बिक शहर से लेकर स्कॉटलैंड, ब्राज़ील, ब्रिटैन, डेनमार्क, थाईलैंड व् बैंकाक शामिल हैं।
साथ ही भट्ट ने अपनी कला को अंतर्राष्ट्रीय कलाकार माइकल थॉमस फ्रॉम कोर्स-फ्रांस, और जेनिस-थाईलैंड के साथ मिलकर अपनी कला को नए मुकाम तक पहुँचाया है। उन्होनें बताया कि "भट्ट की कलाकृतियाँ आर्ट वर्ड में नई सोच और नई दिशा की और प्रेरित करती रहीं हैं।"
सौरभ भट्ट अपनी सम्पूर्ण कला शिक्षा का श्रेय अपने गुरु कलाविद श्री रमेश गर्ग, कलाविद स्वर्गीय श्री रणजीत सिंह चुड़ावाला, स्वर्गीय सुरेंद्र पाल जोशी, शिल्पगुरु-पद्मश्री स्वर्गीय श्री कृपालसिंह शेखावत, शिल्पगुरु-पद्मश्री श्रीलाल जोशी, अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कला गुरु श्री अमित गंजू एवं नवीना गंजू सहित अपने पिता श्री जी. एल. भट्ट व् बहन डॉक्टर कुसुम को देते हैं, जिन्होंने प्रत्येक कदम पर भट्ट को कला के बारीक गुर की शिक्षा प्रदान करने में सहयोग किया।
सौरभ भट्ट की सफलता का मूल मन्त्र- ढृढ़ संकल्प और सतत प्रयास !
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वस्त्र नगरी के सौरभ भट्ट 2018 में 20 वें कला मेले में बढ़ाएंगे अपनी कला का मान
भीलवाड़ा के प्रख्यात आर्टिस्ट एवं कला विश्लेषक सौरभ भट्ट अपनी कला का एकल प्रदर्शन (solo exhibition) जयपुर में आयोजित 20 वें कला मेले में करेंगे !
यह जानकारी आलोक आर्ट गैलरी के निदेशक श्री गोवेर्धन लाल जी भट्ट ने दी ! उन्होंने बताया कि राजस्थान ललित कला अकादेमी द्वारा 4 जनवरी से 8 जनवरी 2018 तक रविंद्र मंच पर 20 वे कला मेले का आयोजन किया जाएगा ! कला मेला में देश के कई सिद्ध-हस्त कलाकार शिरकत करेंगे !
समसामयिक व् वास्तविक विषयों के एक्सपर्ट सौरभ ने इस बार अपनी काला में नए प्रयोगों को शामिल किया हे !
सौरभ बताते हैं कि उनकी कलाकृति में उन्होंने हिरण्यगर्भ-ज्या, Vision (दृष्टि), Germination जर्मिनेशन (अंकुरण), Thinker (चिंतन)व् मातृत्व प्रेम आदि विषयों पर कलाकृति का निर्माण किया हे !
हाल ही बैंकॉक व् थाईलैंड में अपनी कला द्वारा भारत का मान बढ़ा चुके वस्त्र नगरी के सौरभ भट्ट बैंकाक में आर्ट विषयक सेमीनार और वर्कशॉप का भी आयोजन कर चुके हैं ! साथ ही आर्ट विश्लेषक के रूप में समसामयिक आर्ट और इसकी सामाजिक राष्ट्रीय उपयोगिता पर पत्र वाचन भी किया !
इससे पूर्व भी सौरभ स्थानीय स्तर से लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के कई देशों में तक़रीबन 74 से ज्यादा आर्ट प्रदर्शनियॉ लगा चुके हैं ! यह भट्ट की 75 वी कला प्रदर्शनी हे !
कला मेले में राष्ट्रीय व् अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्यात कलाकारों के साथ ही कला और संस्कृति से जुड़े कई सम सामयिक विषयों पर वार्ताए आयोजित की जाएंगी ! जिसमे देश के कई नामी कलाकार और चिंतक भाग लेंगे ! वार्ताओं का दौर 5 जनवरी से 7 जनवरी तक रविंद्र मंच के मिनी ऑडिटोरियम में दोपहर 3 से शाम 5 बजे के बीच आयोजित किया जाएगा !
कला मेले के इतिहास में पहली बार भाषाई संस्कृति को भी शामिल किया गया है। इसके तहत विभिन्न संस्कृतियों में कला के योगदान पर चर्चाएं आयोजित की जाएंगी साथ ही इन संस्कृतियों में कला का क्या रूप है ये बताने के लिए उसी संस्कृति के कलाकारों के विषेष लाईव डेमोस्ट्रेषन भी आयोजित किए जाएंगे।
समारोह में इस बार कला के क्षेत्र में योगदान देने वाले एक बुजुर्ग कलाकार को 51 हजार रूपए के लाइफ टाईम अचीवमेंट अवार्ड से भी नवाजा जाएगा।
https\://youtu.be/VhZ4zE25ExA
Director
ALOK ART GALLERY









सफलता

 कोरोना संकट के बीच विपरीत परिस्थितियों में भी सफलता प्राप्त की जा सकती है । वह यह है कि "स्वयं की कमियों को पहचानो और उसे दूर करो"

फ़िर एक बार आशा की एक किरण के साथ...
सौरभ की कलम से...









World most successful man in 2021

कोरोना संकट के बीच विपरीत परिस्थितियों में भी *सफलता* प्राप्त की जा सकती है । वह यह है कि *"स्वयं की कमियों को पहचानो और उसे दूर करो"*

फ़िर एक बार *आशा की एक नई किरण* के साथ...
*सौरभ की कलम से...*