Wednesday, May 5, 2021

एक छोटा सा प्रयास... सौरभ की कलम से...

 एक छोटा सा प्रयास... सौरभ की कलम से...


सारे दुःख दूर हो जाएंगे ... 

सब ठीक हो जाएगा...

खुशियाँ फिर से लौट आएंगीं... 

इन सब बातों से ही तो हम पगला से गए हैं। 

असल में यही सब कारण ही तो हैं दुखी होने के...


इन्हीं सभी भ्रमों को ही तो हमारे जीवन से हमें दूर निकाल फैंकना है। 


वास्तव में एक छोटे से प्रयास से जीवन में बड़ा परिवर्तन लाया जा सकता है। 

प्रयास ऐसा कि जिसे करने से आपका मन प्रसन्न हो, जैसे अगर मन करे तो घर की बगिया के पौधों से मन की बात-चीत की जाए, और कोशिश करें उनकी बात को भी सुना जाए। भले ही आप उन्हें सुन नहीं पा रहे हों, परन्तु आपको एक छोटे से प्रयास से अपने मन को ज़रा सा बहलाना है, कि आप उन्हें सुनने की कोशिश कर रहे हैं, और उन्हें सुन भी रहे हैं। यहीं से आप उनकी आवाज़ तक ही नहीं बल्कि उनके मन तक भी पहुँच पाएंगे। ऐसा करने से हो सकता है कि कुछ समय आपका व्यर्थ चला जाये, परन्तु आप महसूस करेंगे कि आपको एक अलग ही अनुभूति हो रही है, जिसे आप सभी को बताना भी चाहेंगे। यही तो आपको करना है। अपनीं खुशियाँ ही तो बटोरनी है और उसे बांटना है, अपनों के संग। और अगर बघिया ही नहीं है घर में तो, चलिए बघिया ही लगाई जाए। अब यह मुश्किल काम कैसे हो ? इसके लिए घर की ही कुछ चीजों का इस्तेमाल किया जा सकता है जैसे आप आलू, भिंडी, मिर्च, धनियाँ, टमाटर और सौंफ़ जैसे आसान से प्रयोग से अपनी बगिया को तैयार कर सकते हैं। ऐसा करने से आप न केवल अपनी बगिया तैयार करेंगे बल्कि अपनी खुशियों की बगिया भी तैयार कर रहे हैं।

याद रखिये मन प्रसन्न तो सारे दुःख दूर हो जायेंगे, सिर्फ एक छोटे से प्रयास से... 


अगर आपको यह "एक छोटा सा प्रयास..." जो कि "सौरभ की कलम से..." डायरी से लिया गया है, पसंद आया तो मुझे लिख भेजिए। आपको मेरे विचार कैसे लगते हैं जरूर बताइये। 


आज के लिए बस इतना ही। कल फिर नए विचार, नए थॉट के साथ... 


फिर एक बार,

सौरभ की कलम से...

5 मई, 2021. बुधवार










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